प्रसंग-10: प्रेम और पूजा; प्रेमी और प्रियतम का सम्बन्ध

प्रेम और पूजा; प्रेमी और प्रियतम का सम्बन्ध

प्रसंग-10-प्रेम और पूजा; प्रेमी और प्रियतम का सम्बन्ध
                                                        प्रेमी पूजे प्रेम को चेतन मूरत मान
                                                        प्रियतम की सूरत धरे प्रेम रूप भगवान
                                                                                                                             -II प्रेम सारावली II
                                                       अद्भुत दर्पण प्रेम का मन के भाव दिखाय
                                                        प्रेमी जो झाँके दरस प्रियतम का हो जाय
                                                                                                                            -II प्रेम सारावली II
                                                        एक प्राण दो देह में यही प्रेम का लेख
                                                        जहाँ दिखे प्रेमी वहीं पंथी प्रियतम देख
                                                                                                                           -II प्रेम सारावली II-
                                                         प्रेमहीन जाने नहीं प्रियतम कैसा, कौन?
                                                         सुनता मन के भाव जो बोले हो कर मौन
                                                                                                                           -II प्रेम सारावली II-
                                                         मैं पूजा, मैं शंखनाद
                                                         मैं शुद्ध भावना का प्रसाद
                                                         दिव्य-सरिता स्नान हूँ
                                                         मैं प्रेम हूँ
                                                                                                                             -II मैं प्रेम हूँ II-
                                                         प्रेम पवन झूमे बहे नापे नभ का छोर
                                                         प्रेमी उड़े पतंग बन प्रियतम थामे डोर
                                                                                                                            -II प्रेम सारावली II-
                                                        जीत हार का रचयिता प्रेमी का भगवान
                                                        प्रेम-पराजय जो चुने उसको प्रियतम जान
                                                                                                                             -II प्रेम सारावली II-
                                                        प्रेमी की दुविधा हरे अपने नियम मिटाय
                                                        प्रियतम से अच्छी भला जग में कौन निभाय?
                                                                                                                            -II प्रेम सारावली II-
                                                          हारो प्रियतम प्रेम में विनती बारम्बार
                                                          सदा विजेता ही करो प्रेमी को सरकार
                                                                                                                             -II प्रेम सारावली II-

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