प्रसंग-12-प्रेम: अच्छे और बुरे के बीच
बौद्धिक विकास की अपनी महायात्रा में मानव ने अपनी विवेकशक्ति के संदर्भ में दो उपलब्धियाँ अर्जित कीं, वे उपलब्धियाँ हैं निर्णय करने की क्षमता और निष्कर्ष निकालने की प्रवृत्ति। निर्णय और निष्कर्ष के कौशल ने मनुष्य के जीवन का बहुमूल्य समय तो बचाया ही है साथ ही उसके जीवन को …
प्रसंग-11-प्रेम; मान-अपमान और अपशब्दों से परे
आपसे यदि पूछा जाए कि क्या आप अपने समाज में मान-अपमान की भावना से भरे हुए दृश्यों, संवादों और अपशब्दों से परिचित हैं? तो संभवतः आप कहेंगे कि हाँ, परिचित हैं, ये हमारे सामाजिक जीवन का हिस्सा जो बन चुके हैं। विश्व के किसी भी भू-भाग पर रहने वाला और …
प्रसंग-10: प्रेम और पूजा; प्रेमी और प्रियतम का सम्बन्ध
सभ्यताओं और संस्कृतियों के विकास के साथ-साथ मानव ने स्वयं को अपने आसपास के जीवों से, वस्तुओं और घटनाओं से जोड़ना सीखा। मनुष्य ने यह जान लिया कि स्वयं की चेतना से जुड़कर स्वयं को गहराई से जाना जा सकता है। स्वयं को सभी से जोड़ लेने के कौशल से …
प्रसंग-9- प्रेम: साधकों के लिए
हम मनुष्यों का यह स्वभाव है कि जीवन और प्रकृति के तथ्य जब हमारी बुद्धि के सामने स्पष्ट हो जाते हैं तो हमें जीवन न केवल सरल और सुगम लगने लगता है बल्कि रुचिकर भी लगने लगता है, उसमें कोई सार्थकता दिखाई देने लगती है। यही तो कारण है कि …
प्रसंग-8-प्रेम:अधिकारियों एवं सहयोगी सहकर्मियों के बीच
भारतीय समाज ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में वर्षों से यह धारणा प्रचलित है कि किसी भी राजकीय अथवा औद्योगिक कार्यक्षेत्र में अधिकारियों एवं सभी सहकर्मियों के बीच प्रेमपूर्ण सम्बन्ध स्थापित होना सहज नहीं होता। अधिकार और सेवा की भावना के द्वन्द्व को लगभग प्रत्येक कार्यालय में अधिकारियों एवं सहकर्मियों …
प्रसंग-7-प्रेम: निराशा की घड़ी में
पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्राणियों के बौद्धिक स्तर और क्षमता को यदि देखा जाए तो मनुष्य का स्थान अग्रणी माना जाता है। मानव मस्तिष्क की विशेषता और प्रतिभा पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रमाणित होती आई है। मनुष्य ने अपनी बुद्धिमत्ता सदियों सिद्ध की है, लेकिन सर्वाधिक बुद्धिमान कहा जाने वाला मनुष्य जब …
प्रसंग-6-प्रेम: विद्यार्थियों के लिए
शिक्षित समाज का हिस्सा बन गए हम मानवों का यह सौभाग्य है कि हम अपनी समझ का विकास सीखने की एक निश्चित प्रक्रिया से कर पाते हैं और इसलिए हम बचपन से ही विद्यार्थी हो जाते हैं। विद्यार्थी वही है जो अपने भीतर सीखने की लगन को पालता है और …
प्रसंग-5 प्रेम: चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी एवं रोगी के लिए
आप सभी को अल्पज्ञानी का प्रणाम! रोग से जूझ रहे किसी व्यक्ति को जब यह पता चल जाए कि उसके रोग के लिए दवा भी उपलब्ध है और चिकित्सक भी तो फिर उसके मन में आशा का ऐसा संचार होता है कि लगता है जैसे रोग की विदाई अब निश्चित …
प्रसंग-4 : प्रेम और जीवन का लक्ष्य
यदि कोई आपसे अभी पूछ ले कि आपके जीवन का क्या लक्ष्य है? तो क्या आप तत्काल स्पष्टता से बता देंगे कि आपको आपके जीवन का लक्ष्य ठीक से पता है? या फिर आप सोच में पड़ जाएँगे कि आपके जीवन का क्या लक्ष्य हो सकता है? बड़े सौभाग्यशाली होते …
प्रसंग-3: प्रेम के रूप और प्रेम की सर्वोच्च अवस्था
मेरी दृष्टि में तो मानव समाज की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि मानव समाज में बनने वाले सभी नातों को, सभी सम्बन्धों को प्रेम प्राप्त हुआ I गुरु और शिष्य के बीच, माता-पिता और संतानों के बीच, भाई और बहन के बीच, पति और पत्नी के बीच, मालिक और …
प्रसंग -2: प्रेम क्यों और कितना महत्वपूर्ण है?
यदि किसी व्यथित और अशांत व्यक्ति से कोई स्नेह से इतना ही पूछ ले कि आप कैसे हैं? ठीक तो हैं ना? तो क्या पल भर में वह अपने दिल की बात सच-सच सामने प्रकट नहीं कर देगा? अवश्य ही कर देगा I स्नेह भरे कुछ शब्दों का ऐसा अद्भुत …
प्रसंग -1: प्रेम क्या है? प्रेमी कैसा होता है? : पहचान एवं परिचय
क्या आपने प्रेम का अनुभव किया है? क्या आपने प्रेम किया है? क्या आपको भी लगता है कि प्रेम बहुत कीमती है, ज़रूरी है और यह कि प्रेम तो अनमोल है? लेकिन क्या कभी आपको जीवन ने यह सोचने पर विवश किया है कि वास्तव में प्रेम है क्या? प्रेमी …