प्रेम-प्रश्नोत्तर-2:धर्म क्या है? क्या हो जब प्रेम ही धर्म हो? 

प्रेम-प्रश्नोत्तर-2:धर्म क्या है? क्या हो जब प्रेम ही धर्म हो?

प्रेम प्रश्नोत्तर की शृंखला में प्रश्न है कि धर्म क्या है? क्या हो जब प्रेम ही धर्म हो? हम चाहे किसी भी समाज में पैदा हुए हों या पले-बढ़े हों,अपनी समझ के विकास के साथ-साथ हमारे जीवन में कभी न कभी यह प्रश्न सामने अवश्य आता है कि “धर्म क्या है?” भले ही हम स्वयं … Read more

प्रसंग-8-प्रेम:अधिकारियों एवं सहयोगी सहकर्मियों के बीच

प्रसंग 8 प्रेम अधिकारियों एवं सहयोगी सहकर्मियों के बीच

प्रेम:अधिकारियों एवं सहयोगी सहकर्मियों के बीच भारतीय समाज ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में वर्षों से यह धारणा प्रचलित है कि किसी भी राजकीय अथवा औद्योगिक कार्यक्षेत्र में अधिकारियों एवं सभी सहकर्मियों के बीच प्रेमपूर्ण सम्बन्ध स्थापित होना सहज नहीं होता। अधिकार और सेवा की भावना के द्वन्द्व को लगभग प्रत्येक कार्यालय में अधिकारियों एवं … Read more

प्रसंग-7-प्रेम: निराशा की घड़ी में

प्रसंग-7-प्रेम: निराशा की घड़ी में

प्रेम: निराशा की घड़ी में पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्राणियों के बौद्धिक स्तर और क्षमता को यदि देखा जाए तो मनुष्य का स्थान अग्रणी माना जाता है। मानव मस्तिष्क की विशेषता और प्रतिभा पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रमाणित होती आई है।  मनुष्य ने अपनी बुद्धिमत्ता सदियों सिद्ध की है, लेकिन सर्वाधिक बुद्धिमान कहा जाने वाला मनुष्य जब … Read more