प्रसंग-7-प्रेम: निराशा की घड़ी में

प्रसंग-7-प्रेम: निराशा की घड़ी में

प्रेम: निराशा की घड़ी में पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्राणियों के बौद्धिक स्तर और क्षमता को यदि देखा जाए तो मनुष्य का स्थान अग्रणी माना जाता है। मानव मस्तिष्क की विशेषता और प्रतिभा पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रमाणित होती आई है।  मनुष्य ने अपनी बुद्धिमत्ता सदियों सिद्ध की है, लेकिन सर्वाधिक बुद्धिमान कहा जाने वाला मनुष्य जब … Read more

प्रसंग-6-प्रेम: विद्यार्थियों के लिए

विद्यार्थियों

प्रेम: विद्यार्थियों के लिए शिक्षित समाज का हिस्सा बन गए हम मानवों का यह सौभाग्य है कि हम अपनी समझ का विकास सीखने की एक निश्चित प्रक्रिया से कर पाते हैं और इसलिए हम बचपन से ही विद्यार्थी हो जाते हैं। विद्यार्थी वही है जो अपने भीतर सीखने की लगन को पालता है और सीखना … Read more

प्रसंग-3: प्रेम के रूप और प्रेम की सर्वोच्च अवस्था

प्रसंग-3: प्रेम के रूप और प्रेम की सर्वोच्च अवस्था

प्रेम के रूप और प्रेम की सर्वोच्च अवस्था मेरी दृष्टि में तो मानव समाज की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि मानव समाज में बनने वाले सभी नातों को, सभी सम्बन्धों को प्रेम प्राप्त हुआ I गुरु और शिष्य के बीच, माता-पिता और संतानों के बीच, भाई और बहन के बीच, पति और पत्नी के … Read more

प्रसंग-4 : प्रेम और जीवन का लक्ष्य

प्रसंग-4-प्रेम और जीवन का लक्ष्य

प्रेम और जीवन का लक्ष्य यदि कोई आपसे अभी पूछ ले कि आपके जीवन का क्या लक्ष्य है? तो क्या आप तत्काल स्पष्टता से बता देंगे कि आपको आपके जीवन का लक्ष्य ठीक से पता है? या फिर आप सोच में पड़ जाएँगे कि आपके जीवन का क्या लक्ष्य हो सकता है? बड़े सौभाग्यशाली होते … Read more

प्रसंग -2: प्रेम क्यों और कितना महत्वपूर्ण है?

प्रसंग -2: प्रेम क्यों और कितना महत्वपूर्ण है?

प्रेम क्यों और कितना महत्वपूर्ण है? यदि किसी व्यथित और अशांत व्यक्ति से कोई स्नेह से इतना ही पूछ ले कि आप कैसे हैं? ठीक तो हैं ना? तो क्या पल भर में वह अपने दिल की बात सच-सच सामने प्रकट नहीं कर देगा? अवश्य ही कर देगा I स्नेह भरे कुछ शब्दों का ऐसा … Read more

प्रसंग-5 प्रेम: चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी एवं रोगी के लिए

प्रसंग -5-प्रेम; चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी एवं रोगी के लिए

प्रेम: चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी एवं रोगी के लिए रोग से जूझ रहे किसी व्यक्ति को जब यह पता चल जाए कि उसके रोग के लिए दवा भी उपलब्ध है और चिकित्सक भी तो फिर उसके मन में आशा का ऐसा संचार होता है कि लगता है जैसे रोग की विदाई अब निश्चित है। रोग हमें … Read more