प्रसंग-12-प्रेम:अच्छे और बुरे के बीच

प्रसंग-12-प्रेम: अच्छे और बुरे के बीच

प्रेम:अच्छे और बुरे के बीच बौद्धिक विकास की अपनी महायात्रा में मानव ने अपनी विवेकशक्ति के संदर्भ में दो उपलब्धियाँ अर्जित कीं, वे उपलब्धियाँ हैं निर्णय करने की क्षमता और निष्कर्ष निकालने की प्रवृत्ति। निर्णय और निष्कर्ष के कौशल ने मनुष्य के जीवन का बहुमूल्य समय तो बचाया ही है साथ ही उसके जीवन को … Read more

प्रेम-प्रश्नोत्तर-2:धर्म क्या है? क्या हो जब प्रेम ही धर्म हो? 

प्रेम-प्रश्नोत्तर-2:धर्म क्या है? क्या हो जब प्रेम ही धर्म हो?

प्रेम प्रश्नोत्तर की शृंखला में प्रश्न है कि धर्म क्या है? क्या हो जब प्रेम ही धर्म हो? हम चाहे किसी भी समाज में पैदा हुए हों या पले-बढ़े हों,अपनी समझ के विकास के साथ-साथ हमारे जीवन में कभी न कभी यह प्रश्न सामने अवश्य आता है कि “धर्म क्या है?” भले ही हम स्वयं … Read more

प्रेम-प्रश्नोत्तर-1-प्रेम में कौन-कौन सी शक्तियाँ होती हैं? 

प्रेम में कौन कौन सी शक्तियाँ होती हैं ।

प्रेम प्रश्नोत्तर की शृंखला में प्रश्न है कि प्रेम में कौन-कौन सी शक्तियाँ होती हैं? जब हम प्रेम का जीवंत उदाहरण बन गए प्रेमी व्यक्तियों के बारे में जानते हैं तो प्रायः हम आश्चर्य और रोमांच से भर उठते हैं कि प्रेम का ऐसा अद्भुत अनुभव भी प्राप्त किया जा सकता है! कि प्रेम को … Read more

प्रसंग-11-प्रेम; मान-अपमान और अपशब्दों से परे

प्रेम; मान-अपमान और अपशब्द

प्रेम; मान-अपमान और अपशब्दों से परे आपसे यदि पूछा जाए कि क्या आप अपने समाज में मान-अपमान की भावना से भरे हुए दृश्यों, संवादों और अपशब्दों से परिचित हैं? तो संभवतः आप कहेंगे कि हाँ, परिचित हैं, ये हमारे सामाजिक जीवन का हिस्सा जो बन चुके हैं। विश्व के किसी भी भू-भाग पर रहने वाला … Read more

प्रसंग-10: प्रेम और पूजा; प्रेमी और प्रियतम का सम्बन्ध

प्रेम और पूजा; प्रेमी और प्रियतम का सम्बन्ध

प्रेम और पूजा; प्रेमी और प्रियतम का सम्बन्ध सभ्यताओं और संस्कृतियों के विकास के साथ-साथ मानव ने स्वयं को अपने आसपास के जीवों से, वस्तुओं और घटनाओं से जोड़ना सीखा। मनुष्य ने यह जान लिया कि स्वयं की चेतना से जुड़कर स्वयं को गहराई से जाना जा सकता है। स्वयं को सभी से जोड़ लेने … Read more

प्रसंग-9-प्रेम: साधकों के लिए

प्रसंग 9 प्रेम साधकों के लिए

प्रेम: साधकों के लिए हम मनुष्यों का यह स्वभाव है कि जीवन और प्रकृति के तथ्य जब हमारी बुद्धि के सामने स्पष्ट हो जाते हैं तो हमें जीवन न केवल सरल और सुगम लगने लगता है बल्कि रुचिकर भी लगने लगता है, उसमें कोई सार्थकता दिखाई देने लगती है। यही तो कारण है कि अपनी … Read more